Wednesday, July 21, 2010

दैनिक ‘हरी-भरी भूमि‘ की ओर से दिव्या रानी जी आज सुबह मेरे चंडूखाने पर तशरीफ लाईं।


दैनिक ‘हरी-भरी भूमि‘ की ओर से दिव्या रानी जी आज सुबह मेरे चंडूखाने पर तशरीफ लाईं। बिना किसी भूमिका के उन्होंने अपना परिचय देते ही क्वेश्चन दाग दिया- आप ब्लॉग जगत में क्यों चले आए ?

मैं भी तुरंत धीर गंभीर सा बनकर विचारवानों के एक्शन में बोला- मुझे मेरा फरज खींच लाया है यहां ।

व्हाट टाइप आफ़ ड्यूटी मैन ?- वह बोलीं।

देखिये मैं जो कुछ निकालता हूं वही निकालने मैं यहां भी आया हूं जी।

बट मैन, यहां कोई बकरा नहीं है।- उन्होंने कहा।

है क्यों नहीं जी, कई बकरे यहां घूम रहे हैं । - मैंने कहा

आप पहचानते हैं उन्हें ? अच्छी तरह से जी ।- मैंने जवाब
मैंने ठीक है आप नाम बताइये- वह बोलीं
उन्हें सारे नाम बता दिये तो वह बोलीं- इम्पॉसिबल , आल आफ़ देम आर ह्यूमन .
यस जी यस, आज तो वे ह्यूमन ही दिखते हैं परंतु....
परंतु क्या?- उन्होंने आश्चर्य चकित होकर पूछा मैंने उन्हें जो कुछ बताया वह पूरा एक धारावाहिक का विषय है । अगर आपको उत्सुकता हो तो इस ब्लॉग पर आते रहिये और किसी को हमदर्दी हो तो वह यह भी बता दे कि इसे चिठ्ठाजगत पर पंजीकृत करायें तो कैसे ?

Sunday, July 18, 2010

'खस्सी टूर्नामेंट'

'खस्सी टूर्नामेंट'
महिलाओं में हॉकी के लिए रुचि जगाता है स्थानीय स्तर पर होने वाला एक बेहद रोचक मुक़ाबला जिसका नाम भी उतना ही कौतूहल जगाने वाला होता है.
उपलब्धियाँ
मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेल, 2000- स्वर्ण पदक- झारखंड की तीन खिलाड़ी
अफ़्रो एशियाई खेल, 2003- स्वर्ण पदक- झारखंड की छह खिलाड़ी
दिल्ली एशियन कप, 2004- स्वर्ण पदक- झारखंड की पाँच खिलाड़ी
राज्य के गाँवों का एक लोकप्रिय खेल है, ‘खस्सी टूर्नामेंट’. इस प्रतियोगिता में जीतने वाली टीम को खस्सी यानी एक बकरा या मुर्गी मिलती है.
शुरूआती तौर पर जब लड़कियाँ पिता या भाई के साथ जब ये प्रतियोगिता देखने जाती थीं तो उनके दिल में यही बात आती थी कि एक दिन वे भी ऐसी प्रतियोगिता जीतेंगी और फिर उन्हें भी भरपेट खस्सी या मुर्गी खाने को मिलेगी.
मगर अब ये शोहरत और इज्ज़त का काम होता जा रहा है. आज इन्हें पहचान चाहिए. इनका लक्ष्य होता है मुख्यमंत्री की ओर से होने वाला स्वागत, रेलवे की नौकरी, अख़बारों में तस्वीरें या टीवी पर ख़ुद को देखने की ललक.