
दैनिक ‘हरी-भरी भूमि‘ की ओर से दिव्या रानी जी आज सुबह मेरे चंडूखाने पर तशरीफ लाईं। बिना किसी भूमिका के उन्होंने अपना परिचय देते ही क्वेश्चन दाग दिया- आप ब्लॉग जगत में क्यों चले आए ?
मैं भी तुरंत धीर गंभीर सा बनकर विचारवानों के एक्शन में बोला- मुझे मेरा फरज खींच लाया है यहां ।
व्हाट टाइप आफ़ ड्यूटी मैन ?- वह बोलीं।
देखिये मैं जो कुछ निकालता हूं वही निकालने मैं यहां भी आया हूं जी।
बट मैन, यहां कोई बकरा नहीं है।- उन्होंने कहा।
है क्यों नहीं जी, कई बकरे यहां घूम रहे हैं । - मैंने कहा
आप पहचानते हैं उन्हें ? अच्छी तरह से जी ।- मैंने जवाब
मैंने ठीक है आप नाम बताइये- वह बोलीं
उन्हें सारे नाम बता दिये तो वह बोलीं- इम्पॉसिबल , आल आफ़ देम आर ह्यूमन .
यस जी यस, आज तो वे ह्यूमन ही दिखते हैं परंतु....
परंतु क्या?- उन्होंने आश्चर्य चकित होकर पूछा मैंने उन्हें जो कुछ बताया वह पूरा एक धारावाहिक का विषय है । अगर आपको उत्सुकता हो तो इस ब्लॉग पर आते रहिये और किसी को हमदर्दी हो तो वह यह भी बता दे कि इसे चिठ्ठाजगत पर पंजीकृत करायें तो कैसे ?